गोरे गोरे गाल तुम्हारे,
है घुंगराले बाल,
सांवरे क्या कहना,
गल वैजन्ती माल चले तू,
तिरछी तिरछी चाल,
सांवरे क्या कहना।।
तर्ज – सर पे टोपी लाल हाथ में।
अधरो पे मुरली सोहे,
भक्तो के मन को मोहे,
रूप तेरा सांवरे,
तीखी अदाये तेरी,
तिरछी निगाहे तेरी,
हम हुए बावरे,
सोना सा श्रृंगार श्याम तोहे,
देखु बारम बार,
सांवरे क्या कहना।
गोरे गोरे गाल तुम्हारें,
है घुंगराले बाल,
सांवरे क्या कहना,
गल वैजन्ती माल चले तू,
तिरछी तिरछी चाल,
सांवरे क्या कहना।।
जादू चलाया तूने,
अपना बनाया तुने,
हम तेरे हो गए,
सांवली सलोनी प्यारी,
कंचन छवि है न्यारी,
चितवन में खो गये,
तन मन दूँ मैं वार कन्हैया,
लेउँ नजर उतार,
सांवरे क्या कहना।
गोरे गोरे गाल तुम्हारें,
है घुंगराले बाल,
सांवरे क्या कहना,
गल वैजन्ती माल चले तू,
तिरछी तिरछी चाल,
सांवरे क्या कहना।।
फूलो का हार तेरा,
‘हर्ष’ ये श्रृंगार तेरा,
मनवा लुभा गया,
सावला दीदार तेरा,
नशीला खुमार तेरा,
भक्तो पे छा गया,
भुले होश हवाश ओ कान्हा,
आज तुम्हारे दास,
सांवरे क्या कहना।
गोरे गोरे गाल तुम्हारें,
है घुंगराले बाल,
सांवरे क्या कहना,
गल वैजन्ती माल चले तू,
तिरछी तिरछी चाल,
सांवरे क्या कहना।।
गोरे गोरे गाल तुम्हारे,
है घुंगराले बाल,
सांवरे क्या कहना,
गल वैजन्ती माल चले तू,
तिरछी तिरछी चाल,
सांवरे क्या कहना।।
स्वर : मुकेश बागड़ा