गुजरी क्या होगी,
उस माँ के दिल पर,
जिसका ना बेटा घर आया,
दम दुनिया को जितने का था,
वचन मात का पूरा किया।।
तर्ज – और इस दिल में।
चले थे युद्ध देखने,
माँ के चरणों को छूकर,
साथ हारे का दूंगा,
भरोसा मुझपे तू कर,
जान गिरधर घबराए,
वचन नन्हे का सुनकर,
छल से एक वादा कराया,
राह में ब्राम्हण बनकर,
लीले पे से उतरके बोले,
जो मांगोगे दूंगा, जो मांगोगे दूंगा,
जैसे ही माँगा शीश का दान,
जैसे ही माँगा शीश का दान,
हाथ कन्हैया के धर दिया,
दम दुनिया को जितने का था,
वचन मात का पूरा किया।।
सींचा अमृत से शीश को,
श्याम ने था वर दिया,
होगा कलयुग का देव तू,
तुम्हे मेरा नाम है दिया,
युद्ध में नजर ना आया,
कोई पांडव बलशाली,
दिखा बस एक सुदर्शन,
जिसने जंग जीता थी डाली,
न्याय युक्त जब सुना था निर्णय,
बोले नन्द के लाला, बोले नन्द के लाला,
कलयुग तू बनेगा साथी,
कलयुग तू बनेगा साथी,
जिसने सहारा तेरा लिया,
दम दुनिया को जितने का था,
वचन मात का पूरा किया।।
थक गई आँखे तकते,
राह अपने बेटे की,
लगूंगी गले मैं जी भर,
सुनूंगी बातें उसकी,
ना कोई खेर खबर है,
नहीं पैगाम है आया,
लौटे जब पांडव घर पर,
हाल लल्ला का सुनाया,
रोते रोते हाथ उठाकर,
बोली थी माँ प्यारी, बोली थी माँ प्यारी,
‘राजू’ ऐसा लाल मिले बस,
‘राजू’ ऐसा लाल मिले बस,
जिसने पूरा फ़र्ज किया,
दम दुनिया को जितने का था,
वचन मात का पूरा किया।।
गुजरी क्या होगी,
उस माँ के दिल पर,
जिसका ना बेटा घर आया,
दम दुनिया को जितने का था,
वचन मात का पूरा किया।।
Singer / Lyrics – Rajendra Agarwal Ji