गुण रे गोविन्द रा गाय,
उमरिया जावे छै जी जावे।।
गर्भवास में कोल किया था,
बाहिर आय हरि नाम ना लिया था,
भूल गयो रे भगवान,
उमरिया जावे छै जावे।।
बालपनो हंस खेल गंवायो,
भरी जवानी तिरिया संग रहयो,
याद न आयो भगवान,
उमरिया जावे छै जावे।।
अब तो बुढ़ापो आयो भारी,
ताना देवे थने घर की नारी,
भुन्डी रे करी भगवान,
उमरिया जावे छै जावे।।
रामानंद गुरु देवे हेला,
सुण ले दास कबीरा चेला,
सुकरत कर ले काम,
उमरिया जावे छै जावे।।
गुण रे गोविन्द रा गाय,
उमरिया जावे छै जी जावे।।
स्वर – संत श्री रामप्रसाद जी महाराज।
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