गुरासा म्हाने ओलु आपरी आवे,
दोहा – गुरू मूर्ती मुख चन्द्रमा,
ने सेवक नेनी चकोर,
अष्ट पोर निरखत रहूँ,
मै गुरू चरनन की ओर।
गुरासा म्हाने ओलु आपरी आवे,
याद करू जद बसो हिरदा में,
याद करू जद बसो हिरदा में,
पल पल प्रेम सतावे ओ,
गुरासा माने ओलु आपरी आवे।।
लगन लागी मारे पियु मिलन री,
लगन लागी माने पियु मिलन री,
कामन काग उडावे ए,
कुटम कबीलो माने दायनी आवे,
कुटम कबीलो माने दायनी आवे,
आप मिलीया दुख जावे ओ,
गुरासा माने ओलु आपरी आवे।।
गुरू बिन माने घडी नी आवडे,
गुरू बिन माने घडी नी आवडे,
नैनो मे नींद नही आवे ए,
जल बिन मच्छीया किस विद जीवे,
ओ जल बिन मच्छीया किस विद जीवे,
तडप तडप मर जावे ओ,
गुरासा माने ओलु आपरी आवे।।
गुरू बिन मारी काया कल्पीजे,
गुरू बिन मारी काया कल्पीजे,
अन्न पानी नही भावे ए,
गल गया हाड मांस ओर चमडी,
गल गया हाड़ मांस ओर चमडी,
प्राण पिंजर सु जावे ओ,
गुरासा माने ओलु आपरी आवे।।
आठो पोर गुरू लिव लागी,
आठो पोर गुरू लिव लागी,
ओर कोई न सुहावे ए,
लग रही आग कलेजे में धूनी,
लग रही आग कलेजे में धूनी,
केवु कयो नही जावे ओ,
गुरासा माने ओलु आपरी आवे।।
अब मेरे नाथ दया करो पूरी,
अब मेरे नाथ दया करो पूरी,
क्यु मारी शान गमावो ए,
कहे जोरावर पियु बिना पल नही,
केवे जोरावर पियु बिना पल नही,
किस विद प्राण बचावे ओ,
गुरासा माने ओलु आपरी आवे।।
गुरासा माने ओलु आपरी आवे,
याद करू जद बसो हिरदा में,
याद करू जद बसो हिरदा में,
पल पल प्रेम सतावे ओ,
गुरासा माने ओलु आपरी आवे।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818