गुरू आदेशो मे हरदम,
जिसने समय गुजारा,
उसको ही सतगुरु ने,
भव से है पार उतारा,
गुरू आदेशो मे हरदम।।
तर्ज – रहा गर्दिशो मे हरदम मेरे।
पड़े जब यमो की मारे,
कोई आए न बचाने,
पड़े जब यमो की,
सारी उमर है तूने,
जिनका किया गुज़ारा,
गुरू आदेशो मे हरदम।।
समझे जिन्हे तू अपने,
होगे वही बैगाने,
समझे जिन्है तू,
एक दिन तुझे जलाए,
जो था तेरा दुलारा,
गुरू आदेशो मे हरदम।।
भजले हरि को बन्दे,
उलझे है क्यो जगत मे,
भजले हरि को बन्दे,
मतलव के यार है सब,
कोई नही हमारा,
गुरू आदेशो मे हरदम।।
गुरू आदेशो मे हरदम,
जिसने समय गुजारा,
उसको ही सतगुरु ने,
भव से है पार उतारा,
गुरू आदेशो मे हरदम।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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