यो तो रे घर और है भाई साधु,
गुरु बिन पावोला नाय,
गुरु बिन पावोला नाय।।
नही ज्ञानी नही ध्यानी,
नही कोई रहनी करणी,
नही भेख नही रेख,
नही वो करणा करणी,
जति सती वहां है नही,
नही सूरज नही चाँद,
अब सिमरण में करु किसी का,
कुछ भी तो दिखे नाय।।
नही स्त्री नही पलक नही,
कोई सायब सुंदर,
नही दिवश नही रैन,
नही कोई सूरज चन्दा,
हद बेहद वहां है नही,
जाप अजपा जाप,
अब सिमरण में करु किसी का,
कुछ भी तो दिख नाय।।
नही आवे नही जाय,
नही कोई मरे न जन्मे,
सतगुरु के दरबार मे,
नही को भेद समजे,
अब करु किसी को ज्ञान,
ज्ञान तो को बताया,
हद बेहद है नही रे,
कुछ भी तो दिखे नाय।।
अब करूं किसी का ध्यान,
कह मैं कोन बताया,
खंड फंड घरनाय रंग,
वहां कहा से आया,
अब काल व्यापे नही,
है वहां सुख री सीर,
वहां तो लीला अजब है रे,
जीने कोई रटे रे कबीर।।
यो तो रे घर और है भाई साधु,
गुरु बिन पावोला नाय,
गुरु बिन पावोला नाय।।
गायक / प्रेषक – श्यामनिवास जी।
9983121148