गुरु गोरख ठाले नै चिमटा,
पेस्सी पै खटाखट बाजण दे।।
तेरी ज्योत पै आवै पेस्सी,
कित सोवै तू ओढ़ कै खेस्सी,
होरया काम कती उलटा,
पेस्सी पै खटाखट बाजण दे।।
क्रोध भरी तेरी आँख खोलदे,
पीट पीट कै कती छोलदे,
धरती इसनै दिए चटा,
पेस्सी पै खटाखट बाजण दे।।
भींचरी जाडी़ चढ़रया जाडा,
रास्सा छीड़ग्या घणा ए ठाढा,
आ दुखीय की जान छुटा,
पेस्सी पै खटाखट बाजण दे।।
आण भगत की लाज बचादे,
संकट नै धुणे म जलादे,
गजेन्द्र स्वामी का भर पेटा,
पेस्सी पै खटाखट बाजण दे।।
गुरु गोरख ठाले नै चिमटा,
पेस्सी पै खटाखट बाजण दे।।
गायक – लक्की शर्मा पिचौलिया।
लेखक – गजेन्द्र स्वामी बैरागी कुड़लाण वाले।
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