गुरु ज्ञान की ज्योत जगाय गयो,
दोहा – माँ केशर के लाल को,
कोटि कोटि प्रणाम,
भक्तो रा दुखड़ा दूर करे,
श्री राजेन्द्र सूरी है नाम।
गुरु ज्ञान की ज्योत जगाय गयो,
भक्ति रो मार्ग बताया गयो,
श्री राजेन्द्र सूरी उपकारी,
जाने ध्यावे नर और नारी,
है माँ केशर रा लाल,
भरतपुर जन्म लियो,
है पारख कुल ओसवाल,
जग में नाम कियो,
गुरु ज्ञान की ज्योंत जगाय गयो।।
तर्ज – मरुधर में ज्योत जगाय गयो।
पोष मास की सातम प्यारी,
गुरु जन्म की खुशिया भारी,
युवा उम्र में संयम धारे,
छोड़े रिश्ते नाते सारे,
गुरु अभिधान राजेन्द्र कोष रचा,
कई ग्रन्थ रचे जग में चर्चा,
श्री राजेन्द्र सूरी उपकारी,
जाने ध्यावे नर और नारी,
है माँ केशर रा लाल,
भरतपुर जन्म लियो,
है पारख कुल ओसवाल,
जग में नाम कियो,
गुरु ज्ञान की ज्योंत जगाय गयो।।
साठ वर्ष संयम में गुजारे,
अस्सी वर्ष में स्वर्ग सिधारे,
जप तप संयम में रहकर,
जिन शासन काज सँवारे,
गुरु महिमा का कोई पार नही,
मेरे दादा गुरु सा ‘दिलबर’ और नही,
श्री राजेन्द्र सूरी उपकारी,
जाने ध्यावे नर और नारी,
है माँ केशर रा लाल,
भरतपुर जन्म लियो,
है पारख कुल ओसवाल,
जग में नाम कियो,
गुरु ज्ञान की ज्योंत जगाय गयो।।
गुरु ज्ञान की ज्योंत जगाय गयो,
भक्ति रो मार्ग बताया गयो,
श्री राजेन्द्र सूरी उपकारी,
जाने ध्यावे नर और नारी,
है माँ केशर रा लाल,
भरतपुर जन्म लियो,
है पारख कुल ओसवाल,
जग में नाम कियो,
गुरु ज्ञान की ज्योंत जगाय गयो।।
गायक – दिलीप बाफना मुम्बई।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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