गुरु की महिमा कोई ना जाने,
ना कोई पंडित ना ही सयाने।bd।
गुरु एक बहती गंगा की धारा,
गुरु चरणन ने सबको तारा,
कृपा को इनकी हर कोई माने,
गुरु की महीमा कोईं ना जानें,
ना कोई पंडित ना ही सयाने।bd।
पिर फकीर की वाणी में वो है,
बुद्ध नानक सा सुखदायी वो है,
प्रेम को उसके कैसे बखाने,
सिमरन के हैं लाखो बहाने,
गुरु की महीमा कोईं ना जानें,
ना कोई पंडित ना ही सयाने।bd।
शब्द ना जाने कहाँ खो गये,
आँखें मन की ज़ुबा हो गये,
लगान लगी संग प्रीत अगोचर,
लोग लगे हमको समझाने,
Bhajan Diary Lyrics,
गुरु की महीमा कोईं ना जानें,
ना कोई पंडित ना ही सयाने।bd।
गुरु की महिमा कोई ना जाने,
ना कोई पंडित ना ही सयाने।bd।
स्वर – दिनेश जी भट्ट।