गुरु से लगन कठिन है भाई,
लगन लगाया बिना काज नहीं सरिये,
जीव प्रलय होय जाई,
गुरु से लगन कठिंन है भाई।।
स्वाति बूँद को रटे पपैया,
पिया पिया रट लाई,
प्यासे प्राण जात है अब ही,
और नीर नहीं भायी,
गुरु से लगन कठिंन है भाई।।
तज घर बार सती होय निकली,
सत करण को जाई,
पावक देख डरे नहीं तनिको,
कूद पड़े हर्षाई,
गुरु से लगन कठिंन है भाई।।
मिर्गो नाद शब्द को भेदी,
शब्द सुण न को जाई,
सोही शब्द सुण प्राण त्याग दे,
मन मे डर नहीं लाई,
गुरु से लगन कठिंन है भाई।।
दो दळ आय लड़े भूमि,
पर सूरा लेत लड़ाई,
टूक टूक होय पड़े धरण पर,
वे खेत छोड़ नहीं जाई,
गुरु से लगन कठिंन है भाई।।
छोड़ो अपने तन की आशा,
हो निर्भय गुण गाई,
कहत कबीर सुणो भाई साधो,
सहजो मिले गुसाँई,
गुरु से लगन कठिंन है भाई।।
गुरु से लगन कठिन है भाई,
लगन लगाया बिना काज नहीं सरिये,
जीव प्रलय होय जाई,
गुरु से लगन कठिंन है भाई।।
स्वर – व्यास जी मौर्य।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार, आकाशवाणी सिंगर।
9785126052