गुरू शब्द पहचान जगत में,
राख सके तो राख नके,
जिन-जिन शब्द हिवड़ा में,
धारिया वो कांकरा ही रामै बिके।।
टचकारी सु बेल चालता,
बचकारी सु ठोड़ रूके,
तु तु कर तो आवे गड़कड़ो,
स स कर तो ऊंट जके।।
गुरू शब्द जब बोले मोरियो,
जद-जद बादल कड़क वो,
चार बजे को बोले कुकड़ो,
सुगरा नर वान ओलके वो।।
शब्द लगाम लागी घोड़ा क,
वो मन चायो नही दोड़ सके,
हजार मण की देह हाथी की,
वो अंकुश न नही तोड़ सके।।
शब्दा छोड़े राज भरतरी,
शब्दा पर हरिचन्द बिके,
सुई की नोक में मावे करोड़ा,
कहे चेतन ओंकार लिखे वो।।
गुरू शब्द पहचान जगत में,
राख सके तो राख नके,
जिन-जिन शब्द हिवड़ा में,
धारिया वो कांकरा ही रामै बिके।।
गायक – भगवान जी महाराज।
Mob. 6367342289
प्रेषक – दिलखुश बैरवा 9351308038