गुरुदेव गला में नाक्यो,
कंठी को डोरो,
रियो सदा तेल के संग,
सिदडा कोरो को कोरो।।
मीठी वाणी नहीं बोले वो,
देवे रेकारो,
बड़ा-बड़ा मनका ने हमझे,
छोरी को छोरो,
रेग्यो सदा तेल के संग,
सिदडा कोरो को कोरो।।
मन से मोटो बनकर घूमे,
नहीं बणे फोरो,
तुलसा की क्यारी में जाणे,
उबो धतुरो,
रेग्यो सदा तेल के संग,
सिदडा कोरो को कोरो।।
अलड बलड खावा पिवा को,
उड़ रयो ठोरो,
किने काई के किने काई के,
हे निदां खोरो,
रेग्यो सदा तेल के संग,
सिदडा कोरो को कोरो।।
गुरु ज्ञान अमृत गंगा को,
वे रयो धोरो,
पी लेतो घुटक जीव ने,
कर लेतो होरो,
रेग्यो सदा तेल के संग,
सिदडा कोरो को कोरो।।
चेतन चित प्रकाश बिना नही,
मिटसी अंधारो,
चेतन शरणे चाल नारायण,
यूँ केवे ऊँकारो,
रेग्यो सदा तेल के संग,
सिदडा कोरो को कोरो।।
गुरुदेव गला में नाक्यो,
कंठी को डोरो,
रियो सदा तेल के संग,
सिदडा कोरो को कोरो।।
गायक – जगदीश जी वैष्णव।
प्रेषक – लहरी लाल मोयणा।
9057243272