ग्यारस का दिन,
हम भक्तो का खास होता है,
श्याम सलोना उस दिन,
मेरे पास होता है,
श्याम को दिल में बिठाते है,
और दिल का हाल सुनाते है।।
तर्ज – लाल दुपट्टा।
लीले चढ़ के साँवरिया,
भक्तो के घर में आता है,
भक्तो का दिल स्वागत में,
यूँ फुला नहीं समाता है,
श्याम की खुशबु का,
सबको आभास होता है,
श्याम सलोना उस दिन,
मेरे पास होता है,
श्याम को दिल में बिठाते है,
और दिल का हाल सुनाते है।।
श्रद्धा की थाली में हम,
विश्वास का माखन लाए है,
सेवा की थाली में सजाकर,
भक्ति भोग हम लाए है,
रूचि रूचि भोग लगाएगा,
अहसास होता है,
श्याम सलोना उस दिन,
मेरे पास होता है,
श्याम को दिल में बिठाते है,
और दिल का हाल सुनाते है।।
तेरे कीर्तन में सांवरिया,
होता बड़ा कमाल है,
मीरा का एकतारा बोले,
नरसी की करताल है,
तेरी भी वंशी बाजे,
आभास होता है,
श्याम सलोना उस दिन,
मेरे पास होता है,
श्याम को दिल में बिठाते है,
और दिल का हाल सुनाते है।।
ग्यारस का दिन,
हम भक्तो का खास होता है,
श्याम सलोना उस दिन,
मेरे पास होता है,
श्याम को दिल में बिठाते है,
और दिल का हाल सुनाते है।।