हार गया मैं सांवरे,
मुझे तू ही संभाले,
बीच भंवर में फंसी है नैया,
तू ही निकाले,
हार गया मैं साँवरे,
मुझे तू ही संभाले।।
तर्ज – बांह पकड़ ले सांवरा कहीं।
रिश्ते नाते निभाते निभाते,
थक सा गया हूँ,
आके तेरे इन चरणों में,
रुक सा गया हूँ,
बांह पकड़ के मुझको अपने,
चरणों से लगा ले,
हार गया मैं साँवरे,
मुझे तू ही संभाले।।
सुख में सारे साथ खड़े थे,
मेरे अपने,
दुःख का बादल छाने लगे तो,
टूटे सपने,
बांह पकड़ के सांवरे मुझको,
चलना सिखा दे,
हार गया मैं साँवरे,
मुझे तू ही संभाले।।
मुझको छोड़ा है अपनों ने,
ग़म ही नहीं है,
मेरे सर पे हाथ तेरा ये,
कम ही नहीं है,
‘राज मित्तल’ को भी बाबा,
अपना बना ले,
हार गया मैं साँवरे,
मुझे तू ही संभाले।।
हार गया मैं सांवरे,
मुझे तू ही संभाले,
बीच भंवर में फंसी है नैया,
तू ही निकाले,
हार गया मैं साँवरे,
मुझे तू ही संभाले।।
Singer – Aarti Sharma