हार के मैं आया हूँ,
तेरे दरबार में,
तेरे ही भरोसे चलती,
भगतों की नाव रे,
तेरे ही भरोसे चलती,
भगतों की नाव रे।।
तर्ज – छुप गया कोई रे दूर से।
सुना तेरी चौखट पे,
कोई नहीं हारा है,
ये ही सुनकर तो बाबा,
दास तेरा आया है,
लाज मेरी रखना बाबा,
अपने खाटू धाम में,
तेरे ही भरोसे चलती,
भगतों की नाव रे।।
आज अपने दिल की बात,
भक्त बताएगा,
भजनो की गंगा से वो,
तुमको रिझाएगा,
आज सुनवाई होगी,
सांचे दरबार में,
तेरे ही भरोसे चलती,
भगतों की नाव रे।।
दुनिया में डंके बजते,
बाबा तेरे नाम के,
कुछ तो हक़ीक़त होगी,
तेरे खाटू धाम में,
‘संजीव’ की दुनिया बाबा,
तेरे चरणों धाम में,
तेरे ही भरोसे चलती,
भगतों की नाव रे।।
हार के मैं आया हूँ,
तेरे दरबार में,
तेरे ही भरोसे चलती,
भगतों की नाव रे,
तेरे ही भरोसे चलती,
भगतों की नाव रे।।
Singer & Writer – Sanjeev Sharma