हारे का तू बनके सहारा आ जाता,
मैं बुलाता हूँ, पर फिर भी तू, आता ना,
दास तेरे का, बिगड़ा मुक़द्दर, बन जाता,
मैं बुलाता हूँ, पर फिर भी तू, आता ना,
मैं बुलाता हूँ, पर फिर भी तू, आता ना।।
तर्ज – दिल दीवाना बिन सजना के।
तेरी प्रीत के खातिर बाबा,
सारी दुनिया छोड़ी,
अब तेरे बिन जी ना लागे,
कैसी प्रीत निगोडी,
तेरे सिवा, अब कुछ भी मन को, भाता ना,
मैं बुलाता हूँ, पर फिर भी तू, आता ना,
मैं बुलाता हूँ, पर फिर भी तू, आता ना।।
एक तेरे दर्शन को बाबा,
अँखियाँ झर झर बहती,
बिगड़ी मेरी आके बना जा,
बस तुमसे ये कहती,
इसके सिवा दिल, कुछ भी तुमसे, चाहता ना,
मैं बुलाता हूँ, पर फिर भी तू, आता ना,
मैं बुलाता हूँ, पर फिर भी तू, आता ना।।
तू है मेरा मैं हूँ तेरा,
रिश्ता ये ना टूटे,
छूट जाए चाहे सारा ज़माना,
दर तेरा ना छूटे,
‘बिट्टू’ का तू, पालनहारा, कहलाता,
मैं बुलाता हूँ, पर फिर भी तू, आता ना,
मैं बुलाता हूँ, पर फिर भी तू, आता ना।।
हारे का तू बनके सहारा आ जाता,
मैं बुलाता हूँ, पर फिर भी तू, आता ना,
दास तेरे का, बिगड़ा मुक़द्दर, बन जाता,
मैं बुलाता हूँ, पर फिर भी तू, आता ना,
मैं बुलाता हूँ, पर फिर भी तू, आता ना।।
गायक – विशाल मल्होत्रा (बिट्टू)।