हाट लागी रे हरी रे नाम री,
हाटों हालो मेरा भाई,
आया व्योपारी हरी रे नाम रा,
हाटों हाल मेरा भाई,
हाट लागी रे हरि रे नाम री।।
ॐ शब्द निज मूल हैं,
सतगुरु हाट मंडाई,
चतुर नर सौदा करे,
मूर्ख मूल गमाई,
हाट लागी रे हरि रे नाम री।।
तन डांडी रे मन पालणा,
सुरता तोलण आई,
ज्ञान पंचेरा लारे राळ दो,
पूरा तोलो मेरा भाई,
हाट लागी रे हरि रे नाम री।।
जीव ब्रह्म सन्तो एक हैं,
दुतिया भ्रम हैं दोई,
भरम अंधेरा सन्तों मेट दो,
निज नेडा राखो सांई,
हाट लागी रे हरि रे नाम री।।
अमर लोक रो हंसलो,
मृत्यु लोक में आई,
कहे कबीर सा धर्मीदास ने,
ऐसो बिणज ही लाई,
हाट लागी रे हरि रे नाम री।।
हाट लागी रे हरी रे नाम री,
हाटों हालो मेरा भाई,
आया व्योपारी हरी रे नाम रा,
हाटों हाल मेरा भाई,
हाट लागी रे हरि रे नाम री।।
गायक – नरपत नागौरी।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052
Bhaut sundar