है बलकारी और ब्रम्हचारी,
अवतारी जो नाथ भुजंगी है,
कोई और नही है वो मेरा,
सालासर का बजरंगी है।।
तर्ज – आवारा हवा का झोंका हूँ।
संकटहर्ता मंगलकर्ता,
ये बल बुद्धि का दाता है,
ये बल बुद्धि का दाता है,
सिया राम ही राम रटें हरदम,
ये भक्त बड़ा सत्संगी है,
कोई और नही है वो मेरा,
सालासर का बजरंगी है।।
योद्धावि जगत मे है ये विकट,
दुष्टों को मारे उलट पलट,
दुष्टों को मारे उलट पलट,
किस्मत को देता है ये पलट,
दुःख दूर करे सब तंगी है,
कोई और नही है वो मेरा,
अंजनी का लाल बजरंगी है।।
रावण का दूर गरूर किया,
जो समझे था इनको बंदर,
जो समझे था इनको बंदर,
और सभा के अंदर रावण ने,
ये मान लिया ये जंगी है,
कोई और नही है वो मेरा,
रुद्रावतार बजरंगी है।।
बजरंगबाला अंजनी लाला,
तू ही मेंहदीपुर वाला है,
तू ही मेंहदीपुर वाला है,
तेरे ‘राजपाल’ को पंचमुखी,
तेरी लगती मूरत चंगी है,
है बलकारी और ब्रम्हचारी,
अवतारी जो नाथ भुजंगी है।।
हैं बलकारी और ब्रम्हचारी,
अवतारी जो नाथ भुजंगी है,
कोई और नही है वो मेरा,
सालासर का बजरंगी है।।