है जाना अमरनाथ के द्वार,
तर्ज – अयोध्या करती है आव्हान
अमरनाथ की जय हो,
शिव शंकर की जय हो,
महादेव की जय हो,
जय हो।
है आया सावण का त्यौहार,
की भक्तो हो जाओ तैयार,
है जाना अमरनाथ के द्वार,
वही पर है अपना उद्धार,
आया सावण का त्यौहार,
की भक्तो हो जाओ तैयार।।
झूटी मोह माया छोड़ो,
अमरनाथ चलो जी,
चाहे तो अकेले चलो,
चाहे साथ चलो जी,
भोले का संदेसा आया,
बात मत टालो जी,
जय जय अमरनाथ!!!
भोले का संदेसा आया,
बात मत टालो जी,
छोड़ो मोह संसार,
आया सावण का त्यौहार,
की भक्तो हो जाओ तैयार।।
अमरनाथ की जय हो,
शिव शंकर की जय हो,
महादेव की जय हो,
जय हो।
श्रद्धा और भावना का,
पूरा संसार है,
कोई चला पैदल कोई,
घोड़े पे सवार है,
अपनी अपनी सोच और,
अपने विचार है,
जय जय अमरनाथ!!!
अपनी अपनी सोच और,
अपने विचार है,
बोलो क्या है विचार,
आया सावण का त्यौहार,
की भक्तो हो जाओ तैयार।।
शीतल समीर राज,
शिवजी के गाती है,
कथा अमरनाथ की,
पहाड़िया सुनाती है,
भक्त चलते चलते शीतल,
तृष्णा तेरी पाती है,
जय जय अमरनाथ!!!
भक्त चलते चलते शीतल,
तृष्णा तेरी पाती है,
कैसा चमत्कार,
आया सावण का त्यौहार,
की भक्तो हो जाओ तैयार।।
अमरनाथ की जय हो,
शिव शंकर की जय हो,
महादेव की जय हो,
जय हो।
जय बाबा अमरनाथ,
जय बर्फानी जी,
भूखो को देते अन्न,
प्यासो को पानी जी,
तेरी शक्ति सारे,
जग ने है मानी जी,
जय जय अमरनाथ!!!
तेरी शक्ति सारे,
जग ने है मानी जी,
अर्ज करे है ‘कुमार’,
है आया सावण का त्यौहार,
की भक्तो हो जाओ तैयार।।