हैं नाम हरि का नाव यहाँ,
बिन नाव तरा नहीं जाएगा,
माया का गहरा सागर है,
बिन नाव तु घबरा जाएगा।।
तर्ज – अब सौंप दिया इस जीवन का।
क्षण भंगुर कंचन काया है,
और प्रबल प्रभु की माया है,
हरिनाम से कटते पाप सभी,
हरिनाम ही पार लगाएगा,
हे नाम हरि का नाव यहां,
बिन नाव तरा नहीं जाएगा।।
हरि नाम जपो और सतत जपो,
संकट सहकर भी डटे रहो,
जप से तप बढ़ता जाता है,
और तप से ताप मिट जाएगा
हे नाम हरि का नाव यहां,
बिन नाव तरा नहीं जाएगा।।
यह नाम ही नामी लाता है,
सच्चा आधार बनाता है,
हरि नाम जपो तो सूरत बने,
तु सूरत से ईश्वर पाएगा,
हे नाम हरि का नाव यहां,
बिन नाव तरा नहीं जाएगा।।
हरि नाम से पत्थर तर जाए,
और पाप के पुंज बिखर जाए,
हरि नाम की महिमा भारी है,
जो ध्याऐगा सो पाएगा,
हे नाम हरि का नाव यहां,
बिन नाव तरा नहीं जाएगा।।
हैं नाम हरि का नाव यहाँ,
बिन नाव तरा नहीं जाएगा,
माया का गहरा सागर है,
बिन नाव तु घबरा जाएगा।।
स्वर – प्रेम नारायण जी गेहूंखेड़ी।
प्रेषक – Arjit Malav
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