हमारो माधव मदन मुरारी,
कुन्ज गलिन में रास रचावे,
चक्र सुदर्शनधारी,
हमारों माधव मदन मुरारी।।
लूट लूट दधी माखन खावे,
ग्वाल वाल संग गाय चरावे,
कभी कदम पर बैठ कन्हैया,
बंशी पर धुन मधुर बजावे,
तीन लोक सब सुध बुध बिसरे,
सुनकर तान तुम्हारी,
हमारों माधव मदन मुरारी।।
कुन्ज गलिन में रास राचावे,
ग्वाल सखा संग गाय चरावे,
कभी कालिया मर्दन करता,
कभी उंगली गोवर्धन धरता,
कभी पूतना को संघारे,
कभी बजावत सारी,
हमारों माधव मदन मुरारी।।
पनघट पर कभी मटकी फोड़े,
कभी अभिमान कंस का तोड़े,
कभी अर्जुन के रथ को हाँके,
कभी बिदुर घर भोग लगावे,
कभी गीता का ज्ञान सुनाता,
‘राजेन्द्र’ कृष्ण मुरारी,
हमारों माधव मदन मुरारी।।
हमारो माधव मदन मुरारी,
कुन्ज गलिन में रास रचावे,
चक्र सुदर्शनधारी,
हमारों माधव मदन मुरारी।।
गीतकार/गायक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
8839262340