हमें प्रीत तुमसे,
हुई श्याम प्यारे,
तुम हो हमारे,
हम है तुम्हारे।।
तर्ज – तुम्ही मेरे मंदिर।
कैसे रीझाऊँ तुझको,
मैं कैसे मनाऊँ,
भावना है सच्ची मेरी,
भाव से मैं ध्याऊँ,
भाव के हो भुखे बाबा,
भाव से पुकारे,
तुम हो हमारे,
हम है तुम्हारे।।
दिनों के नाथ बाबा,
हो दीन दयालु,
भगतों की माने तुम हो,
बडे ही कृपालु,
मुझे भी संवारो जैसे,
औरो को संवारे,
तुम हो हमारे,
हम है तुम्हारे।।
करुणा के सिंधु,
दया तो दिखाओ,
अर्जी हमारी बाबा,
यूँ ना ठुकराओ,
नीर बहाये मेरे,
नैणन ये प्यारे,
तुम हो हमारे,
हम है तुम्हारे।।
हमें प्रीत तुमसे,
हुई श्याम प्यारे,
तुम हो हमारे,
हम है तुम्हारे।।
लेखक / प्रेषक – कैलाश शर्मा।
9006772006