हंसा चलणो शब्द परियाणी,
सत्पुरुषों रो संग कीजिये,
बोलो अमृत बाणी।।
सायब सब घट माय बिराजे,
आ प्रकट सैलाणी,
बायर क्यूँ तुम फिरो भटकता,
करलो आप में जाणी।।
एका एक हो जाओ सायब का,
तज दो पड़पच झूठा,
तेरी नजरिया देखत देखत,
काळ लाखों घर लूटा।।
करलो विचार विवेक हमेशा,
मोह समुद्र सुखाणी,
सांसो सांस खाली मती खोवो,
भव सागर तिरजाणी।।
जागो जुगत से नींद उड़ाओ,
सूरत सायब से जोड़ो,
कहत कबीर सुणो भाई सन्तों,
भरम री गागर फोड़ो।।
हंसा चलणो शब्द परियाणी,
सत्पुरुषों रो संग कीजिये,
बोलो अमृत बाणी।।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052