हंसा चाले तो ले चालु रे,
डिग्गी का मेला में,
ढोकला कल्याण धणी,
सावण का झूला में,
हंसा चाले तो ले चालू रे,
डिग्गी का मेला में।।
सावण बरसे हरियाली छागी,
यात्रा का गैला में,
झाकी माही डिजे बाजे,
नाचा गैला म,
हंसा चाले तो ले चालू रे,
डिग्गी का मेला में।।
जगह जगह भण्डारा लागे,
टोंक जिला का गैला में,
सीरो पूडी चाय मनसा,
भरगी कैला म,
हंसा चाले तो ले चालू रे,
डिग्गी का मेला में।।
मोत्यालोकल्याण धणी,
बैठ्यो डिग्गीका महला म,
तीन बरण की झाकी,
दरसण पावा मैला म,
हंसा चाले तो ले चालू रे,
डिग्गी का मेला में।।
शीश झुका मनडो सुख पायो,
अरजी सुणजे हैला म,
रमेश प्रजापत हंसा,
दरसण पावे मैला म,
हंसा चाले तो ले चालू रे,
डिग्गी का मेला में।।
हंसा चाले तो ले चालु रे,
डिग्गी का मेला में,
ढोकला कल्याण धणी,
सावण का झूला में,
हंसा चाले तो ले चालू रे,
डिग्गी का मेला में।।
गायक – रमेश प्रजापत टोंक।