हनुमान के चेहरे से,
एक नूर टपकता है,
मुखङे पे सदा इसके,
एक तेज चमकता है।।
तर्ज – होंठो से छू लो।
श्री राम की सेवा का,
परिणाम है बजरंगी,
अनहोनी कर देता,
वो नाम है बजरंगी,
दुष्टों की खातिर ये,
शोले सा दहकता है,
हनुमान के चेहरें से,
एक नूर टपकता है।।
श्री राम से भक्ति मिली,
सीता से शक्ति मिली,
भक्तों की श्रेणी में,
इसे पहली पंक्ति मिली,
भक्ति रस से इसका,
हर रोम छलकता है,
हनुमान के चेहरें से,
एक नूर टपकता है।।
जिसपे खुश हो जाता,
श्री राम से मिलवाता,
उसकी रक्षा खातिर,
ये काल से भीड़ जाता,
हर पल का रखवाला,
ये कभी ना थकता है,
हनुमान के चेहरें से,
एक नूर टपकता है।।
इस भक्त शिरोमणि को,
मैं शीश नवाता हूँ,
दिल की एक छोटी सी,
फरियाद सुनाता हूँ,
श्री राम के दरस करा,
‘बिन्नू’ ये तरसता है,
हनुमान के चेहरें से,
एक नूर टपकता है।।
हनुमान के चेहरे से,
एक नूर टपकता है,
मुखङे पे सदा इसके,
एक तेज चमकता है।।
गायक / प्रेषक – रमेश सरावगी।
7980726652
लेखन – बिन्नू जी।