हनुमत जैसा रूप है तेरा,
घुंघर वाले बाल,
इक तू ही भगवान बाबोसा,
तू ही पालनहार,
इक तू ही भगवान बाबोसा,
भक्तो का प्रतिपाल।।
तर्ज – चांदी जैसा रंग है तेरा।
जिस रस्ते से तू गुजरे,
वो फूलों से भर जाये,
तेरे चरण कमल बाबोसा,
सोते भाग जगाये,
जो तेरे चरणों को छू ले,
वो पारस बन जाये,
तू जिसको मिल जाये वो,
तू जिसको मिल जाये वो,
हो जाये मालामाल,
इक तू ही भगवान बाबोसा,
भक्तो का प्रतिपाल।।
इस दो रंगी दुनिया में,
क्या रंग दिखाते लोग,
हम नादान न जाने क्या क्या,
रूप बनाते लोग,
तेरा मिलना है बाबोसा,
ये कैसा संजोग,
तुझसे रिश्ता रिश्ता जोड़ा,
तुझसे रिश्ता रिश्ता जोड़ा,
रखना मेरा ख्याल,
इक तू ही भगवान बाबोसा,
भक्तो का प्रतिपाल।।
घनक घटा कलिया और तारे,
सब है तेरे रूप,
गजले हो या ही गीत मेरे,
सब में तेरा रूप,
तेरे हाथ में ही बाबोसा,
कभी छाँव कभी धूप,
तुझे नज़र ना लागे ओ ‘दिलबर’,
तुझे नज़र ना लागे ओ ‘दिलबर’,
तेरा रूप है बड़ा कमाल,
इक तू ही भगवान बाबोसा,
भक्तो का प्रतिपाल।।
हनुमत जैसा रूप है तेरा,
घुंघर वाले बाल,
इक तू ही भगवान बाबोसा,
तू ही पालनहार,
इक तू ही भगवान बाबोसा,
भक्तो का प्रतिपाल।।
गायक – श्री हर्ष व्यास मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365