हर बात उनकी बन गई,
मेरे बाबोसा,
तेरे दरबार आते आते।
दोहा – सुनो बाबोसा,
ये भक्त सुनाये,
के तू ही हम पर,
कृपा बनाये,
तुम्हारी महिमा,
समझ न पाये,
के साथ देता,
पर नजर न आये।
द्वार तूम्हारे हो हो,
द्वार तूम्हारे आये,
जो भी रोते रोते हो,
हर बात उनकी बन गई,
मेरे बाबोसा,
तेरे दरबार आते आते।।
गम की रातें इनकी शरण में,
आकर ही ढलती है,
खुशियो की सौगात ये भक्तो,
सबको यहाँ मिलती है,
प्रीत इनसे लगाई,
ज्योत दिल में जगाई,
बिन मांगे फिर उसने,
खुशी जीवन में है पाई,
डर नही उसको हो हो,
डर नही उसको जिनके,
साथ बाबोसा होते,
हर बात उनकी बन गयी,
मेरे बाबोसा,
तेरे दरबार आते आते।।
छोटे बड़े सब एक यहाँ पर,
बाबोसा को प्यारे,
मंजू बाईसा कहती हमेशा ये,
भक्तो के पालनहारे,
‘दिलबर’ जिसने पुकारा,
उनका बना गया ये सहारा,
हम भक्तो का तो है चलता,
इनके नाम से गुजारा,
रिया तुम्हारी हो हो,
रिया तुम्हारी इन,
शब्दों में भाव पिरोती,
हर बात उनकी बन गयी,
मेरे बाबोसा,
तेरे दरबार आते आते।।
गायिका – रिया जैन।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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