हर फागण में श्याम धणी,
हम पहुंचे खाटू धाम हो,
हाथों में निशान हो,
सामने मेरा श्याम हो।।
तर्ज – एक दिन सीता जी से रघुवर।
छोटा सा परिवार है,
सबको तुमसे प्यार है,
पास हमारे जो कुछ है,
जब तक जीवन जपते रहे हम,
जब तक जीवन जपते रहे हम,
बाबा तेरा नाम हो,
हाथों में निशान हो,
सामने मेरा श्याम हो।।
बिन मांगे ही देते हो,
फिर भी तुमसे मांग लिया,
मिल जाए तो समझूंगा,
बहुत बड़ा अहसान किया,
इतना इतना काम किया है,
इतना इतना काम किया है,
करते ना इंकार हो,
हाथों में निशान हो,
सामने मेरा श्याम हो।।
जब जब फागण आता है,
तेरा बुलावा आता है,
जिस पर किरपा हो तेरी,
वो ही खाटू जाता है,
ना जाने कितनो पे किया है,
ना जाने कितनो पे किया है,
मुझ पर ये अहसान हो,
हाथों में निशान हो,
सामने मेरा श्याम हो।।
प्यार तुम्हारा मिल जाए,
ये ही खजाना काफी है,
क्या देखें इस दुनिया को,
खाटू वाला काफी है,
‘बनवारी’ क्या कमी रहे,
जब बाबा मेहरबान हो,
हाथों में निशान हो,
सामने मेरा श्याम हो।।
हर फागण में श्याम धणी,
हम पहुंचे खाटू धाम हो,
हाथों में निशान हो,
सामने मेरा श्याम हो।।
स्वर – मुकेश बागड़ा जी।