सारे जग में ये,
ऐलान होना चहिये,
हर गली हर मोड़ पे,
एक मंदिर होना चाहिए।।
मंदिर बनेगा बाबोसा का,
धन्य वो गाँव शहर होगा,
वहाँ के हर प्राणी का,
कल्याण हर पहर होगा,
पूण्य कार्य की शुभ,
शुरुवात होना चहिये,
हर गली हर मोड पे,
एक मंदिर होना चाहिए।।
जिस मोड़ से गुजरेंगे होंगे,
हमको वहाँ पे दर्शन,
बाबोसा के दर्शन पाकर,
होगा सफल ये जीवन,
दिल में एक ऐसा,
अरमान होना चाहिए,
हर गली हर मोड पे,
एक मंदिर होना चाहिए।।
ज्योत जलेगी मंदिर में,
दरबार सजेगा प्यारा,
बाबोसा के भजनों में,
झूमेगा जग ये सारा,
हर जुबा से ये,
गुणगान होना चाहिए,
हर गली हर मोड पे,
एक मंदिर होना चाहिए।।
बाबोसा की प्रतिस्ठा,
जब बाईसा करेगे,
‘दिलबर’ उस दिन से,
हर बिगड़े काम बनेंगे,
बाबोसा तेरी,
पहचान होना चाहिये,
हर गली हर मोड पे,
एक मंदिर होना चाहिए।।
सारे जग में ये,
ऐलान होना चहिये,
हर गली हर मोड़ पे,
एक मंदिर होना चाहिए।।
गायिका – सुजाता त्रिवेदी।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन, म.प्र. 9907023365