हर घड़ी आपका ध्यान करता रहूं,
और करता रहूं आपकी बंदगी,
बस यही कामना है गुरुवर मेरे,
आपके चरणों में बीते ये जिंदगी,
हर घड़ीं आपका ध्यान करता रहूँ,
और करता रहूं आपकी बंदगी।।
तर्ज – तुम अगर साथ देने का।
जबसे चरणों का मुझको है अमृत मिला,
सारा जीवन कमल की तरह से खिला,
मेरे अवगुण सभी दूर मुझसे हुए,
और आकर गुणों का खजाना मिला,
जानते है ज़माने में सभी बात ये,
आप के चरणों से पाई है हर खुशी,
हर घड़ीं आपका ध्यान करता रहूँ,
और करता रहूं आपकी बंदगी।।
झूठे जग से किया दूर मन को मेरे,
सच्चे ज्ञान का मार्ग दिखाया मुझे,
एक कंकड़ था मैं और कुछ भी नहीं,
आप ने कोहिनूर बनाया मुझे,
एक राई को पर्वत किया आपने,
आप के जैसा कोई नहीं पारखी,
हर घड़ीं आपका ध्यान करता रहूँ,
और करता रहूं आपकी बंदगी।।
जब तलक सांसे तन में रहेगी मेरे,
आप की महिमा को यूँही गाता रहूं,
मैंने ईश्वर को देखा नहीं है कभी,
आप के रूप में उसको पाता रहूं,
मैंने बस ये सुना था हुआ अब यकी,
गुरु चरणों में सारी ही श्रष्टि बसी,
हर घड़ीं आपका ध्यान करता रहूँ,
और करता रहूं आपकी बंदगी।।
हर घड़ी आपका ध्यान करता रहूं,
और करता रहूं आपकी बंदगी,
बस यही कामना है गुरुवर मेरे,
आपके चरणों में बीते ये जिंदगी,
हर घड़ीं आपका ध्यान करता रहूँ,
और करता रहूं आपकी बंदगी।।
स्वर – संजय जी गुलाटी।