अरे हरी भज हरी भज हिरा परख ले,
समझ राख मन मजबूती,
साचा सुमिरन करो मालिक रा,
और वार्ता सब झूठी रे हा।।
ए इन्द्र घटाले सतगुरु आया,
अमृत बूंदा हद लुटी,
तिरवेणी रा रंग महल में,
हंसलेलालो हद लूटी,
अरे हरी भज हरी भज हीरा परख ले,
समझ राख मन मजबूती,
साचा सुमिरन करो मालिक,
और वार्ता सब झूठी रे हा।।
इन काया मे पाच चोर है,
जिन री पकड ले सिर चोटी,
पाचो ने पकड पचीस वस करले,
जद जानु थारी रजपूती,
अरे हरी भज हरी भज हीरा परख ले,
समझ राख मन मजबूती,
साचा सुमिरन करो मालिक,
और वार्ता सब झूठी रे हा।।
डावी ईन्गला जीमन पिंगला,
सोजो सुखमना घर बूटी,
एडा भाव भक्ति रा राखे,
दुखडो दूर है दस गुटी,
अरे हरी भज हरी भज हीरा परख ले,
समझ राख मन मजबूती,
साचा सुमिरन करो मालिक,
और वार्ता सब झूठी रे हा।।
नेम धरम री जाज बनावो,
बैठ चलो जती सती पापी,
जीव तो गनो दुख देवे,
एडी मना री करो मती,
अरे हरी भज हरी भज हीरा परख ले,
समझ राख मन मजबूती,
साचा सुमिरन करो मालिक,
और वार्ता सब झूठी रे हा।।
अरे न कोई रेना न कोई कहना,
कोई सुनले सुन कोठी,
गुरु खिमजी रा माली लिखमोजी बोले,
आय भजन री घर कुटी,
अरे हरी भज हरी भज हीरा परख ले,
समझ राख मन मजबूती,
साचा सुमिरन करो मालिक,
और वार्ता सब झूठी रे हा।।
अरे हरी भज हरी भज हिरा परख ले,
समझ राख मन मजबूती,
साचा सुमिरन करो मालिक रा,
और वार्ता सब झूठी रे हा।।
गायक – श्याम पालीवाल जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818
श्याम पालीवाल साहब के भजन ओर उनकी सुरीली आवाज़ का में कायल हूं।
राजस्थान के देशी भजन ओर आपकी गायक़ी बहुत ही अच्छी हैं।।