हरि भक्तो का है,
ब्रज में ठिकाना,
श्याम पागलों का,
वृन्दावन पागल ख़ाना,
हरि भगतो का है,
ब्रज में ठिकाना।।
तर्ज – परदेसियों से ना।
बृज में रहकर,
भजन करेंगे,
सन्तों की झुठन खा,
जीवन जीयेंगे,
सेवा कुन्ज निधिवन,
रोज रोज जाना,
हरि भगतो का है,
ब्रज में ठिकाना।।
मथुरा में श्याम,
जनम लियो है,
गोकुल में सब,
लीला कियो है,
श्यामा श्याम मिलते यहाँ,
प्रेमियों ने मांना,
हरि भगतो का है,
ब्रज में ठिकाना।।
चरणों में गुरूवर के,
सदा ही रहेंगे,
उनकी कृपा से बांके,
दर्शंन करेंगें,
‘चित्र विचित्र’ का,
बस यही कहना,
हरि भगतो का है,
ब्रज में ठिकाना।।
हरि भक्तो का है,
ब्रज में ठिकाना,
श्याम पागलों का,
वृन्दावन पागल ख़ाना,
हरि भगतो का है,
ब्रज में ठिकाना।।
गायक / प्रेषक – धसका जी पागल।
7206526000