हरी का भजन कर प्राणी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी,
हो गयी पुरानी काया हो गयी पुरानी,
हरि का भजन कर प्राणी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी।।
ये काया कागज का टुकड़ा,
बून्द लगे घुल जाए,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी,
हरि का भजन कर प्राणी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी।।
ये काया में आग लगेगी,
धुंआ उड़ेगा आसमानी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी,
हरि का भजन कर प्राणी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी।।
कृष्ण भजन कर ओ मन पंछी,
छण भर की जिंदगानी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी,
हरि का भजन कर प्राणी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी।।
कहे जन सिंगा सुनो भाई साधो,
गुरु की चरण है सुहानी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी,
हरि का भजन कर प्राणी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी।।
हरी का भजन कर प्राणी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी,
हो गयी पुरानी काया हो गयी पुरानी,
हरि का भजन कर प्राणी,
काया तो तेरी हो गयी पुरानी।।
प्रेषक – घनश्याम बागवान सिद्दीकगंज।
7879338198