हरी रा गुण गायले रे भाई म्हारा,
जब लग सुखी रे शरीर,
पीछे याद न आवसी रै,
टीजर व्यापे पीर,
हरी रा गुण गायले रे बीरा म्हारा,
जब लग सुखी रे शरीर।।
भाग बङा म्हाने,
संत मीलीया है,
पङीयो समंद मे शीर,
हंसा होय चूग लीजीये रे,
नाम अमोलक हीर,
हरी रा गुण गायले रे बीरा म्हारा,
जब लग सुखी रे शरीर।।
अवसर जाय दीनो दिन बीतो,
ज्यो अंजलि रो नीर,
हंसा फैर नही आवसी रे,
मान सरोवर तीर,
हरी रा गुण गायले रे बीरा म्हारा,
जब लग सुखी रे शरीर।।
जोबन थका भज लीजीए रै,
देर न कीजे वीर,
चाल बूढापो आवसी रै,
रहे न मनमे धीर,
हरी रा गुण गायले रे बीरा म्हारा,
जब लग सुखी रे शरीर।।
सब देवा रो देव रामजी,
सब पीरा रो पीर,
कव कबीर भज लीजिए रे,
रामजी सुक री सीर,
हरी रा गुण गायले रे बीरा म्हारा,
जब लग सुखी रे शरीर।।
हरी रा गुण गायले रे भाई म्हारा,
जब लग सुखी रे शरीर,
पीछे याद न आवसी रै,
टीजर व्यापे पीर,
हरी रा गुण गायले रे बीरा म्हारा,
जब लग सुखी रे शरीर।।
भजन प्रेषक –
सिंगर डूंगरदास वैष्णव पल्ली
8290137428
बहुत सुंदर है आप का लिखित भजन
सुपर +