हरजी रे हरजी मने,
भूख घणी लागी,
बकरियों रो दूध,
पिलाओ जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा,
बापजी रो पार,
नहीं पायो जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा,
हरजी रे हरजी मने,
भूख घणी लागी।।
छह छह महीनों री बाबा,
चारु रे बकरियां,
दूध कठे सू लाऊँ जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा,
बापजी रो पार,
नहीं पायो जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा।।
झूठो रे भाटी हरजी,
झूठ घणे रो बोले,
दूध नजरों में म्हाने,
आवे जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा,
बापजी रो पार,
नहीं पायो जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा।।
लेय कटोरों भाटी,
एवड़िये में साँचरियो,
दूध सू कटोरों,
भर लायो जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा,
बापजी रो पार,
नहीं पायो जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा।।
दुधड़लो पायो रे हरजी,
तीरस घणी लागी,
ठंडो ठंडो पाणीड़ों,
पिलाओ जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा,
बापजी रो पार,
नहीं पायो जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा।।
झूठो रे भाटी हरजी,
झूठ घणे रो बोले,
पाणी रे नजर म्हाने,
आवे जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा,
बापजी रो पार,
नहीं पायो जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा।।
लेय कटोरों हरजी,
निकलंक नाडे पंहुचीयो,
पाणी रो कटोरों,
भर लायो जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा,
बापजी रो पार,
नहीं पायो जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा।।
दूध पाणी पीने बाबा,
प्रसन्न होया जी,
भक्ति रो वरदान,
हरजी पायो जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा,
बापजी रो पार,
नहीं पायो जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा।।
कपड़े रो घोड़ो रे,
दीनो म्हारा बापजी,
वीणा रे साथे,
खड़ताल जियो,
हरजस गाकर हरजी,
जमा रे जगाजो,
भीड़ पड़िया हैलो,
आऊँ जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा,
बापजी रो पार,
नहीं पायो जियो,
खमा खमा खमा रे,
कंवर अजमाल रा।।
मैं घणी करूँ मनवार,
म्हारे घरे हालो नी,
राणी नेतल रा भरतार,
म्हारे घरे हालो नी,
हालो नी पधारों नी।।
मेवा मिठाई म्हारे हैं नहीं बाबा,
अरे काचर बोर मतीर,
म्हारे घरे हालो नी।।
बाजरी री रो सोगरो बाबा,
और ग्वार फली रो साग,
म्हारे घरे हालो नी।।
चौमासे में भल आवजो बाबा,
भर ने भादरवे रे माय,
म्हारे घरे हालो नी।।
हरजी भाटी री विनती बाबा,
थे म्हारा माय यन बाप,
म्हारे घरे हालो नी।।
आलस मोड़ उठो धणी रामा,
दया करो थोड़ा मारे सामी भाळ,
सतरा गुरु सगाई सिद्ध रामा,
था बिन सुने कौन पुकार,
आप थका औरो किने धाऊँ,
किणरी पोलियो आगे करु पुकार।।
राजा विजय सिंह परचो मांगे,
परचो नहीं है पिंडतो रे हाथ।।
नौ मन घास घोड़े रे आगे रालियों,
धान पावेरो दियो चढ़ाय,
सियालियां चाल सिंघोरी चाले,
सिंघ पलटने कर दो सियाळ।।
हरजी कटारी खावण लागा,
थारे नाव पर तजदू प्राण,
लीले हीच करी गढ़ ऊपर,
गढ़ जोधाणे ने दियो धुजाय।।
राजा विजयसिंह पाये पड़िया,
भाटी हरजी थोरी कळा सम्भाल,
हरजी रे भाटी थारी ढाणी थापले,
मां रिखियों री करजे सहाय।।
हर शरणे भाटी हरजी बोले,
बंधन छोड़ाया चवदे री साल,
आलस मोड़ उठो धणी रामा,
दया करो थोड़ा मारे सामी भाळ,
सतरा गुरु सगाई सिद्ध रामा,
था बिन सुने कौन पुकार।।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052