हेली म्हारी बाहर भटके काई,
थारे सब सुख है घट माही,
हेली मारी घट में ज्ञान विचारो,
थारे कुन है बोलण वालो,
हेली मारी उन री करो ओलखाई,
थारो जन्म मरण मिट जाई,
हेली मारी बाहर भटके काई,
थारे सब सुख है घट माही।।
हेली मारी इंगला पिंगळा रानी,
तामे सुखमन सेज सवारी,
जो मिले पुरूष से प्यारी,
ज्यामे कौन पुरुष कौन नारी,
हेली मारी बाहर भटके काई,
थारे सब सुख है घट माही।।
हेली मारी गगन में गुरे रे निशाणा,
ज्यारा मर्म कोई कोई जाणा,
कोई जाणे संत सुजाणा,
बिन ब्रह्म तत्व पहचाना,
हेली मारी बाहर भटके काई,
थारे सब सुख है घट माही।।
हेली मारी बाजे बीन सितारा,
जठे शंख मुरली झनकारा,
हेली मारी सोहम चमके सितारा,
जठे बिना ज्योत उजियारा,
हेली मारी बाहर भटके काई,
थारे सब सुख है घट माही।।
हेली मारी बाजे अनहद तुरा,
जहा पहुचे संत कोई सूरा,
जहा मिले कबीर गुरु पूरा,
वहां नानक शरणों री धुरा,
हेली मारी बाहर भटके काई,
थारे सब सुख है घट माही।।
हेली म्हारी बाहर भटके काई,
थारे सब सुख है घट माही,
हेली मारी घट में ज्ञान विचारो,
थारे कुन है बोलण वालो,
हेली मारी उन री करो ओलखाई,
थारो जन्म मरण मिट जाई,
हेली मारी बाहर भटके काई,
थारे सब सुख है घट माही।।
स्वर – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – पुखराज पटेल
9784417723