हे बनवारी आज मायरो,
भरजा नैनीबाई रो।
छोड आसरो और आसरो,
लिनो कृष्ण कनायी को,
हें बनवारी आज मायरो,
भरजा नैनीबाई रो,
छोड आसरो ओर आसरो,
लिनो कृष्ण कनायी को,
हें बनवारी आज मायरो,
भरजा नैनीबाई रो।।
असुर संघार भगत ऊबारन,
चार वेद महिमा गायी,
जब जब भीड़ पडी भगतन पर,
तब तब आप करी सहाई,
जब जब भीड़ पडी भगतन,
पर तब तब आप करी सहाई,
पृथ्वी लाकर सृष्टि रचाई,
वारा होय सतयुग माई,
असुर मार प्रहलाद ऊबारीयो,
प्रकट हुए खंबे माई,
वामण होय बली छल लिनो,
वामण होय बली छल लिनो,
ओ किनो काम ठगाई को,
हें बनवारी आज मायरो,
भरजा नैनीबाई रो।।
मच्छ पच अवतार धारकर,
सुर नर कि मनसा पूरी,
आधीरात गजराज पुकारीयो,
गरूड़ छोड़ पहुंचे दूरी,
आधीरात गजराज पुकारीयो,
गरूड़ छोड़ पहुंचे दूरी,
भस्मासुर ने भस्म करायो,
सुन्दर रूप बने हरी,
नारद की नारी ठग लीनी,
आप चढे जाके चवरी,
असुरन से अमृत लेलिनो,
ओ असुरन से अमृत लेलिनो,
बनकर वेश लुगाई को,
बनकर वेश लुगाई को,
हें बनवारी आज मायरो,
भरजा नैनीबाई रो।।
परशुराम भी रामचंद्र भय,
गौतम की नारी तारी,
भिलनी के फल झूठे खाये,
शंका त्याग दई सारी,
भिलनी के फल झूठे खाये,
शंका त्याग गई सारी,
कर्मा रे घर खिचड खायो,
तारी अधम गनीका नारी,
छल कर तर गई नारी पुतना,
कुब्जा भयी आज्ञाकारी,
सैन भगत रा सासा मेट्या,
सैन भगत रा सासा मेट्या,
रूप बनाकर नाई को,
रूप बनाकर नाई को,
हें बनवारी आज मायरो,
भरजा नैनीबाई रो।।
नामदेव रे दास कबीरा,
धन्ना भगत को खेत भरीयो,
दुर्योधन का मेवा त्याग्या,
जाय विदुर घर पानी पियो,
दुर्योधन का मेवा त्याग्या,
जाय विदुर घर पानी पियो,
प्रीत लगाकर गोपी तर गई,
मीराजी रो कारज सरीयो,
चीर बढायो द्रोपदी रो,
दुशासन को मान हरीयो,
कहे नरसीलो सुन रे सावरिया,
कहे नरसीलो सुन रे सावरिया,
करले काम भलाई को,
करले काम भलाई को,
हें बनवारी आज मायरो,
भरजा नैनीबाई रो।।
छोड आसरो और आसरो,
लिनो कृष्ण कनायी को,
हे बनवारी आज मायरो,
भरजा नैनीबाई रो,
छोड आसरो ओर आसरो,
लिनो कृष्ण कनायी को,
हें बनवारी आज मायरो,
भरजा नैनीबाई रो।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818
https://youtu.be/FQzKfGj_FUo