हे गोविन्द राखो शरण,
अब तो जीवन हारे।।
भजन प्रसंग – गज और ग्राह।
hey govind rakho sharan ab to jeevan hare
नीर पिवन हेतु गयो,
सिन्धु के किनारे,
सिन्धु बीच बसत ग्राह,
चरण धरि पछारे,
हे गोविन्द राखो शरन,
अब तो जीवन हारे।।
चार प्रहर युद्ध भयो,
ले गयो मझधारे,
नाक कान डूबन लागे,
कृष्ण को पुकारे,
हे गोविन्द राखो शरन,
अब तो जीवन हारे।।
द्वारका में सबद दयो,
शोर भयो द्वारे,
शन्ख चक्र गदा पद्म,
गरूड तजि सिधारे,
हे गोविन्द राखो शरन,
अब तो जीवन हारे।।
‘सूर’ कहे श्याम सुनो,
शरण हम तिहारे,
अबकी बेर पार करो,
नन्द के दुलारे,
हे गोविन्द राखो शरन,
अब तो जीवन हारे।।
हे गोविन्द राखो शरण,
अब तो जीवन हारे।।
Singer – Devarj Sharma
Upload By – Rajbahadur
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