हे गुरुवर तव चरण कमल में,
श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं,
चरण धूलि निज माथे रख कर,
तुमको शीश झुकाते हैं।।
माया के इस अंधकार को,
प्रभुवर तुमने दूर किया,
झूठ कपट से दूर रहें हम,
ज्ञान हमें भरपूर दिया,
कृपा बरसती रहे तुम्हारी,
ये आशीष मांगते हैं,
तेरी पूजा में है गुरुवर,
नित नव सुमन चढ़ाते हैं।।
श्रीराम को भी प्रभु तुमने,
मर्यादा का पाठ पढ़ाया,
कर्म योग का पाठ पढ़ाकर,
श्रीकृष्ण से कर्म कराया,
सच्चाई के पथ पर चलने का,
नित पाठ पढ़ाते हैं,
नेक कर्म कर जियें जगत में,
आप हमें सिखलाते हैं।।
राम तजें पर तुम्हें न भूले,
निश दिन तुमको ध्यायेगे,
तुम्हे तजे जो नर है गुरुवर,
कैसे भव तर पाएंगे,
ब्रम्हा बिष्णु शिव में तुम हो,
ये सद ग्रंथ बताते हैं,
साक्षात परब्रम्ह तुम्ही हो,
सब में आप समाते हैं।।
हे गुरुवर तव चरण कमल में,
श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं,
चरण धूलि निज माथे रख कर,
तुमको शीश झुकाते हैं।।
गीतकार / गायक – राजेंद्र प्रसाद सोनी।
8839262340