हे जग पिता हे जग प्रभु,
मुझे अपने नाम का दान दो,
तुझे अपने मन में मैं देख लूँ,
वह ज्ञान दो वह ध्यान दो,
हें जग पिता हे जग प्रभू,
मुझे अपने नाम का दान दो।।
मेरे मन में तेरा ही रंग हो,
मेरी ज्ञान गंग तरंग हो,
मेरी काम क्रोध से जंग हो,
मुझे लोभ मोह से उबार दो,
हें जग पिता हे जग प्रभू,
मुझे अपने नाम का दान दो।।
प्रभु तेरी भक्ति का बल मिले,
मुझे धैर्य शक्ति प्रबल मिले,
जो मिले विचार अटल मिले,
मुझे ऐसी उँची उड़ान दो,
हें जग पिता हे जग प्रभू,
मुझे अपने नाम का दान दो।।
मेरा सरल शुद्ध व्यवहार हो,
मुझे बैर भाव से तार दो,
मुझे हर किसी से प्यार हो,
मुझे ऐसा प्रेम महान दो,
हें जग पिता हे जग प्रभू,
मुझे अपने नाम का दान दो।।
मैं शहीदे मन को मिटा सकूँ,
मैं किसी के काम जो आ सकूँ,
मैं किसी को अपना बना सकूँ,
मुझे ऐसी मधुर जुबान दो,
हें जग पिता हे जग प्रभू,
मुझे अपने नाम का दान दो।।
प्रभु तेरी वाणी पढ़ा करूं,
तेरा ही नाम जपा करूं,
तेरा साम गान सुना करूं,
यही सोच दो यही ध्यान दो,
हें जग पिता हे जग प्रभू,
मुझे अपने नाम का दान दो।।
हे जग पिता हे जग प्रभु,
मुझे अपने नाम का दान दो,
तुझे अपने मन में मैं देख लूँ,
वह ज्ञान दो वह ध्यान दो,
हें जग पिता हे जग प्रभू,
मुझे अपने नाम का दान दो।।
गायक / प्रेषक – महेन्द्र मिश्र
७६७८५०५२८४
Bhut acha hai