हे जगवंदन गौरी नन्दन,
नाथ गजानन आ जाओ,
शिव शंकर के राज दुलारे,
आके दर्श दिखा जाओ,
हे जगवँदन गौरी नंदन,
नाथ गजानन आ जाओ।।
तर्ज – नगरी नगरी द्वारे द्वारे।
रिद्धि सिद्धि के स्वामी हो तुम,
शुभ और लाभ के दाता हो,
एक दन्त हो दयावंत हो,
तुम ब्रह्मांड के ज्ञाता हो,
विघ्न विनाशक नाम तुम्हारा,
मेरे विघ्न मिटा जाओ,
हे जगवँदन गौरी नंदन,
नाथ गजानन आ जाओ।।
सब देवों में सबसे पहले,
होती तेरी ही पूजा,
तीनो लोकों में हे स्वामी,
कोई नही तुमसा दूजा,
मूषक की करके असवारी,
लड्डुअन भोग लगा जाओ,
हे जगवँदन गौरी नंदन,
नाथ गजानन आ जाओ।।
हम सेवक नादान तुम्हारे,
भजन भाव कुछ ना जाने,
इस संसार में सबसे ज्यादा,
देवा बस तुमको माने,
‘त्यागी’ की ये विनती सुनलो,
कारज सफल बना जाओ,
हे जगवँदन गौरी नंदन,
नाथ गजानन आ जाओ।।
हे जगवंदन गौरी नन्दन,
नाथ गजानन आ जाओ,
शिव शंकर के राज दुलारे,
आके दर्श दिखा जाओ,
हे जगवँदन गौरी नंदन,
नाथ गजानन आ जाओ।।
स्वर – ज्योति तिवारी।
लेखक – सचिन त्यागी।
प्रेषक – ध्वनि म्यूजिक कंपनी
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