हे पवन के तनय वीर हनुमान जी,
कब से करता विनय आप आ जाइये,
नाव मजधार में आज मेरी फसी,
पार आकर के उसको लगा जाइए।।
बालपन में ही भक्षण किया सूर्य का,
तीनो लोकों में छाया अंधेरा घना,
वीर बजरंग बाँके महावीर फिर,
वीर बजरंग बाँके महावीर फिर,
अपना बल और पराक्रम दिखा जाइये।।
वीरता में पराक्रम में बलबुद्धि में,
भक्ति में भाव में कोई तुझसा नही,
बस उसी भक्ति का भाव संसार को,
बस उसी भक्ति का भाव संसार को,
फिर से आके जरा सा दिखा जाइए।।
नाम लेने से ही बस महावीर का,
दूर संकट सभी झट से हो जाते हैं,
‘अम्बिका’ हैं शरण में ये राउर तेरे,
‘अम्बिका’ हैं शरण में ये राउर तेरे,
लाज निर्मोही की अब बचा जाइये।।
हे पवन के तनय वीर हनुमान जी,
कब से करता विनय आप आ जाइये,
नाव मजधार में आज मेरी फसी,
पार आकर के उसको लगा जाइए।।
भजन प्रेषक – दिनेश जी मिश्र।
9004926118