हे शिव शंकर है दयानिधि,
हे करुणा कर हे अविनाशी,
हे परमपिता हे विश्वेस्वर,
हे सर्वेश्वर घट घट वासी।।
हम आये हैं तेरे द्वारे,
तू अपनाले या ठुकरा दे,
न छोड़ेंगे तेरा द्वारा,
है जगतपिता है कैलाशी,
है शिव शंकर है दयानिधि,
है करुणा कर है अविनाशी,
है परमपिता है विश्वेस्वर,
है सर्वेस्वर घट घट वासी।।
छाए हैं दुख के बादल,
चहु और हे छाई अंधियारी,
अब तू ही दिखा कोई राह हमे,
है गंगाधर है सुखराशि,
है शिव शंकर है दयानिधि,
है करुणा कर है अविनाशी,
है परमपिता है विश्वेस्वर,
है सर्वेस्वर घट घट वासी।।
तू दे ऐसा वरदान हमें,
हम तेरे ही नित गुण गाये,
और प्यास बुझादे दर्शन से,
ये अँखिया दर्शन की प्यासी,
है शिव शंकर है दयानिधि,
है करुणा कर है अविनाशी,
है परमपिता है विश्वेस्वर,
है सर्वेस्वर घट घट वासी।।
हे शिव शंकर है दयानिधि,
हे करुणा कर हे अविनाशी,
हे परमपिता हे विश्वेस्वर,
हे सर्वेश्वर घट घट वासी।।
गीतकार / गायक – राजेंद्र प्रसाद सोनी।