हे स्वामिनी श्यामा जू,
कर दो किरपा की नजर,
तेरा नाम रटूं हर पल,
कुछ ऐसा हो मुझपे असर,
हे स्वामिनी श्यामा जू।।
तर्ज – अंखियों के झरोखों से।
कामी हूँ कपटी हूँ,
अधमी अभिमानी हूँ,
कितने ही विकार भरे,
विषयों की कहानी हूँ,
मुझे दीन जान श्यामा,
भटकाओ ना दर-ब-दर,
तेरा नाम रटूं हर पल,
कुछ ऐसा हो मुझपे असर,
हे स्वामिनी श्यामा जू।।
ना जग ही भाए मुझे,
ना मन ही भजन में लगे,
मुझ जैसे पापी के,
जाने कौन से कर्म जगे,
बिना भाव भजन के कहीं,
ये जीवन ना जाए गुजर,
तेरा नाम रटूं हर पल,
कुछ ऐसा हो मुझपे असर,
हे स्वामिनी श्यामा जू।।
जन्मो का भिखारी हूँ,
आप ही हो दाता मेरी,
मैं किस्मत का मारा हूँ,
आप भाग्य विधाता मेरी,
तेरी चौखट पे श्यामा जू,
तेरी चौखट चित्र विचित्र,
का ये जीवन जाए संवर,
तेरा नाम रटूं हर पल,
कुछ ऐसा हो मुझपे असर,
हे स्वामिनी श्यामा जू।।
हे स्वामिनी श्यामा जू,
कर दो किरपा की नजर,
तेरा नाम रटूं हर पल,
कुछ ऐसा हो मुझपे असर,
हे स्वामिनी श्यामा जू।।
गायक – श्री चित्र विचित्र महाराज।