हिलमिल के सजन सत्संग करिये,
सत्संग करिये भव से तिरिये,
हिलमिल के सजन सत्संग करिए,
सत्संग करिये भव से तिरिये।।
सन्त सरोवर निर्मल जल है,
ज्ञान मुक्ति की गगरी भरिये,
हिलमिल के सजन सत्संग करिए,
सत्संग करिये भव से तिरिये।।
सत्संग गंग बहै जल धारा,
तान बैठ दुर्मति हरिये,
हिलमिल के सजन सत्संग करिए,
सत्संग करिये भव से तिरिये।।
जो सन्तो की निंदा करत है,
कोटि कल्प नरका पड़िये,
हिलमिल के सजन सत्संग करिए,
सत्संग करिये भव से तिरिये।।
कामधेनु कल्पवृक्ष सन्त है,
सेवा से कारज सरिये,
हिलमिल के सजन सत्संग करिए,
सत्संग करिये भव से तिरिये।।
कह गोपेश सन्त संग रहिये,
और भावना पर हरिये,
हिलमिल के सजन सत्संग करिए,
सत्संग करिये भव से तिरिये।।
हिलमिल के सजन सत्संग करिये,
सत्संग करिये भव से तिरिये,
हिलमिल के सजन सत्संग करिए,
सत्संग करिये भव से तिरिये।।
Singer: Sushil Bihani
Lyrics & Upload : Malchand Sharma