हिरदा में बोल आ जाये,
जगदम्बा अम्बा सरस्वती,
नादिया पर भोलो बैठ्यो,
सिंह पर बैठी पार्वती।।
रिद्धि सिद्धि का दाता री,
सब देवा का गणदेवपति,
सब देवा का राजा ईन्र्दराजा,
हाथी पर चल रही शचि,
हिरदा में बोल आ जाए,
जगदम्बा अम्बा सरस्वती।।
पवनपुत्र अंजनी का लाला,
आजा र हनुमान जति,
रामचन्द्र सो राजा कोन,
सीता सी कोई नहीं सती,
हिरदा में बोल आ जाए,
जगदम्बा अम्बा सरस्वती।।
ईश्वर सब न दैख रहयो छ,
खबर छुपी नहीं रत्ती,
ई भारत की धरती पर,
कतरी माताजी या देख मति,
हिरदा में बोल आ जाए,
जगदम्बा अम्बा सरस्वती।।
बैकुंठा म विष्णु बैठया,
कैलाशा कैलाश पति,
ब्रम्ह लोक बर्हृमा जी,
या तीना की एक मति,
हिरदा में बोल आ जाए,
जगदम्बा अम्बा सरस्वती।।
गुरु कर भगवान सहाय,
न बड़ा बड़ा करोड़पति,
म्हारे गुरु की कृपा सु या लल्या,
पंज्याकी नहीं चली,
हिरदा में बोल आ जाए,
जगदम्बा अम्बा सरस्वती।।
हिरदा में बोल आ जाये,
जगदम्बा अम्बा सरस्वती,
नादिया पर भोलो बैठ्यो,
सिंह पर बैठी पार्वती।।
प्रेषक – धर्म चन्द नामा।
( नामा म्युजिक)
9887223297