होंठों पे मेरे जब भी,
बाबोसा नाम आये,
हर बात बन जाये,
जब मुस्किलो ने घेरा,
आये जो गम के साये,
हर बात बन जाये,
होटों पे मेरे जब भी।।
तर्ज – जब जब बहार आये।
इनके भरोसे ही मेरे,
जीवन की नैया चलती,
तूफान हो या आंधी,
उसको तो राह मिलती,
बाबोसा बनके माझी,
मेरी नैया को चलाये,
हर बात बन जाये,
होटों पे मेरे जब भी।।
मुझको गले लगाकर,
हरपल दिया सहारा,
तेरे नाम से ही बाबोसा,
मेरा चल रहा गुजारा,
खुशियों के दीप तुमने,
जीवन में जो जलाये,
हर बात बन जाये,
होटों पे मेरे जब भी।।
अपना बनाया जो मुझे,
तेरा रहमो करम है,
मेरे साथ है जो बाबा,
फिर न फिकर न गम है,
‘दिलबर’ तेरे फसाने,
‘नागेश’ गुन गुनाये,
हर बात बन जाये,
होटों पे मेरे जब भी।।
होंठों पे मेरे जब भी,
बाबोसा नाम आये,
हर बात बन जाये,
जब मुस्किलो ने घेरा,
आये जो गम के साये,
हर बात बन जाये,
होटों पे मेरे जब भी।।
गायक – नागेश कांठा।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन, म.प्र. 9907023365