हम बन गए तेरे गुलाम,
ओ खाटू वाले।
दोहा – जिसको दीदार,
मेरे श्याम तेरा हो जाए,
मिलते ही नजरें,
कमाल हो जाए,
जो तेरे नाम पे,
क़ुर्बान जिंदगी कर दे,
जमाने भर की खुशियाँ,
उसके नाम हो जाए।
हम बन गए तेरे गुलाम,
ओ खाटू वाले,
हम बन गए तेरें गुलाम,
ओ मुरली वाले,
अब आके हमें संभाल,
अब आके हमें संभाल,
ओ लीले वाले,
हम बन गए तेरे ग़ुलाम,
ओ खाटू वाले,
हम बन गए तेरे ग़ुलाम,
ओ मुरली वाले।।
सारे गम के मारे बाबा,
तेरे दर क्यों आते,
एक ही नजर पड़ते ही,
दुःख भाग जाते,
तेरी नज़रों का सब कमाल,
तेरी नज़रों का सब कमाल,
ओ मोरवी वाले,
हम बन गए तेरे ग़ुलाम,
ओ खाटू वाले,
हम बन गए तेरे ग़ुलाम,
ओ मुरली वाले।।
तेरी लखदातारी मैंने,
जमाने में देखी,
बदलता है रेखा तू तो,
मस्तक की देखी,
मैं आया था कंगाल,
मैं आया था कंगाल,
ओ लीले वाले,
हम बन गए तेरे ग़ुलाम,
ओ खाटू वाले,
हम बन गए तेरे ग़ुलाम,
ओ मुरली वाले।।
खाटू में ऐसा क्या है,
समझ नहीं पाया,
रातों ही रात में कैसे,
भाग्य चमकाया,
मुझे कर दिया मालामाल,
मुझे कर दिया मालामाल,
तेरे खेल निराले,
हम बन गए तेरे ग़ुलाम,
ओ खाटू वाले,
हम बन गए तेरे ग़ुलाम,
ओ मुरली वाले।।
हम बन गए तेरें गुलाम,
ओ खाटू वाले,
हम बन गए तेरें गुलाम,
ओ मुरली वाले,
अब आके हमें संभाल,
अब आके हमें संभाल,
ओ लीले वाले,
हम बन गए तेरे ग़ुलाम,
ओ खाटू वाले,
हम बन गए तेरे ग़ुलाम,
ओ मुरली वाले।।
स्वर – अंजलि द्विवेदी।