हम दर पे झुकाने शीश तेरे,
हर ग्यारस खाटू आते है,
लेकिन जब वापस जाते है,
नैनो से आंसू बहते है,
हम दर पे झुकाने शीष तेरे।।
तर्ज – हम लाख छुपाए।
बड़ी दूर दूर से ओ बाबा,
प्रेमी दरबार में आते है,
जो जैसी नियत रखते है,
वैसा ही वो ले जाते है,
तू लखकर देता है बाबा,
कहलाया लखदातारी है,
लेकिन जब वापस जाते है,
नैनो से आंसू बहते है,
हम दर पे झुकाने शीष तेरे।।
जब विपदा कोई आती है,
तेरी मोरछड़ी लहराती है,
तेरी मोरछड़ी खाटूवाले,
हर बिगड़ी बात बनाती है,
हारे का साथी है बाबा,
दुनिया ये सारी जाने है,
लेकिन जब वापस जाते है,
नैनो से आंसू बहते है,
हम दर पे झुकाने शीष तेरे।।
जब सांवरिया तू सजता है,
बाबा बड़ा प्यारा लगता है,
तुझे देख देख कर ओ बाबा,
भक्तों का दिल नहीं भरता है,
‘जय कौशिक’ भी है दास तेरा,
तेरा ही सुमिरन करता है,
लेकिन जब वापस जाते है,
नैनो से आंसू बहते है,
हम दर पे झुकाने शीष तेरे।।
हम दर पे झुकाने शीश तेरे,
हर ग्यारस खाटू आते है,
लेकिन जब वापस जाते है,
नैनो से आंसू बहते है,
हम दर पे झुकाने शीष तेरे।।
Singer – Shyam Salona