हम कई जाणा सिपाही संत,
कई जाणा सिपाही संत,
वो निकल्या बड़ा गुणवंत,
कई जाणा सिपाही संत।।
कोई कहे भाई युक्ति जाणे,
मार दिया कोई मंत्र,
कई जाणा सिपाही संत,
हम कईं जाणा सिपाही संत।।
कोई कहे ये ध्यान करत है,
बैठ्यो है कोई संत,
कई जाणा सिपाही संत,
हम कईं जाणा सिपाही संत।।
नगर मेटावल कहे राणा से,
तम सिखलीजो कोई मंत्र,
कई जाणा सिपाही संत,
हम कईं जाणा सिपाही संत।।
हम कई जाणा सिपाही संत,
कई जाणा सिपाही संत,
वो निकल्या बड़ा गुणवंत,
कई जाणा सिपाही संत।।
प्रेषक – घनश्याम बागवान।
सिद्दीकगंज 7879338198